- लंबे समय से अस्पतालों की मनमानी की खबरें सुर्खियों में है, राज्य सरकार कुम्भकर्णी निंद्रा में सोई है
दैनिक झारखंड न्यूज
जमशेदपुर/रांची । कोरोना संक्रमित मरीजों के ईलाज और चिकित्सकीय परीक्षण में राज्य के प्राइवेट अस्पतालों में मची लूट पर भारतीय जनता पार्टी ने चिंता जाहिर की है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इस विषय को संवेदनशील बताते हुए फौरन सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि राजधानी रांची सहित अन्य जिलों के डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजाें का भारी आर्थित दोहन किया जा रहा है। पीपीई किट, मास्क, कमरें, नर्सिंग शुक्ल सहित अन्य सुविधाओं के नाम पर मनमाने शुल्क वसूले जा रहे हैं। कई अस्पताल एक मरीज से 24 घंटों के इलाज के नाम पर 58 हजार रुपये तक वसूल रहे हैं।
निजी अस्पताल प्रबंधनों के इस कृत्य को पार्टी ने अमानवीय और घोर चिंता का कारक बताया है। प्रदेश प्रवक्ता ने इस मामले पर राज्य सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए व्यवस्था में अविलंब सुधार की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोरोना आपदा में लाभ का अवसर कमाना अमानवीय आचरण है। लंबे समय से अस्पतालों की मनमानी मीडिया की सुर्खियों में है, किंतु राज्य सरकार कुंंभकर्णी निंद्रा में है। सरकार उदासीनता पर भी भाजपा ने सवाल खड़े करते हुए अविलंब पहल सुनिश्चित करने की मांग की है।
श्री षाड़ंगी ने इस मामले में झारखंड सरकार से निगरानी कमेटी और औचक छापेमारी के लिए उड़न दस्ता गठित करने का आग्रह किया है, ताकि मनमानी शुल्क वसूली पर अंकुश संभव हो। उन्होंने कहा कि संक्रमित मरीजों के प्रति सहानुभूति जरूरी है ना कि आपदा को अवसर में बदला जाये। पार्टी ने मांग की है कि अविलंब मनमानी को रोकने की दिशा में पहल सुनिश्चित करते हुए अन्य राज्यों की तर्ज पर चिकित्सकीय शुल्क निर्धारित करने की बात कही, ताकि मुनाफाखोरी पर नियंत्रण और अंकुश संभव हो।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के साथ ही शासकीय अस्पतालों के संसाधन दुरुस्त करने की जरूरत है। अविलंब कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए राज्य सरकार शुल्क निर्धारित कर अस्पतालों को पाबंद करें। इसकी निगरानी के लिए कमेटी भी गठित करे, ताकि संक्रमित मरीजों के परिजनों पर वित्तीय बोझ नहीं पड़े। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कोरोना के इलाज को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा गया है। राज्य सरकार इसको धरातल पर सही से कार्यान्वयन कराए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर संक्रमित मरीजों को राहत मिले।